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Showing posts from December, 2022

Hoysaleshwara Temple @ Halebidu, Karnataka

             होयशलेश्वर मंदिर , हैलेबिडु, ( कर्नाटक )   Hoysaleshwara Temple @ Halebidu, Karnataka  : Hoysaleshwara Temple is a Hindu temple dedicated to lord Shiva. It is a twin-temple known as Hoysaleswara and Santaleswara but no worship inside the temple as shivaling was destroyed by Mughals and left abandoned for many years.   It is situated in a small city called Halebidu which was originally called Dorasamudra. It is in Hasan district, Karnataka, India. Earlier days it was the capital city of Hoysala Empire.  This temple was commissioned by King Vishnuvardhana in 12th century  which took around 100 years to complete. Temple is made with black stone and carving on the stone is super. It can not be explained in words but you have to see to realize the wonder created by our ancestors. I have attached few photos which will give you and idea. You require minimum a day time so please visit the place to feel it.  VisitingTiming:  07:00 AM to  06:30 PM  Everyday .  Best time to visit:  A

समाधि की दो स्थितियां सविकल्प और निर्विकल्प हैं, दोनों में क्या अंतर है ?

  समाधि की दो स्थितियां सविकल्प और निर्विकल्प हैं, दोनों में क्या अंतर है ? १.सविकल्प : इस समाधी में लीन होने पर साधक स्वयं को दुसरे महाशक्ति के साथ होने का अनुभव प्राप्त करता है यानि उसे दुसरे महाशक्ति का बोध होता है |  २.निर्विकल्प : इस समाधी में लीन होने पर ब्यक्ति स्वयं को ही महाशक्ति होने का अनुभव करता है | इसमें  साधक और ईश्वर में भेद नहीं रह जाता।

धर्मग्रंथ के अनुसार उपवास का शास्त्रीक महत्व क्या है?

             प्रश्न : धर्मग्रंथ के अनुसार उपवास का शास्त्रीक महत्व क्या है? उत्तर: भविष्य पुराण के अनुसार उपवास का मतलब होता है सभी प्रकार के भोगों से विरक्ति | भोग का मतलब भोजन और भौतिक सुख दोनों ही होता है | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ६४ द्वारा अनुज मिश्रा

धार्मिक अनुष्ठान से पूर्व दीक्षा लेने की अनिवार्यता क्यों हैं ?

            प्रश्न : धार्मिक अनुष्ठान से पूर्व दीक्षा लेने की अनिवार्यता क्यों हैं ? उत्तर: दीक्षा धार्मिक शपथ है जिसको ग्रहण करने के उपरांत अनुष्ठान पूर्ण करने की बाधयता हो जाती है | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ६१ - ६३ द्वारा अनुज मिश्रा

भगवान सूर्यदेव के सारथी कौन हैं?

           प्रश्न : भगवान सूर्यदेव के सारथी कौन हैं? उत्तर: अरुण देव भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ५२ - ५३ द्वारा अनुज मिश्रा

भगवान सूर्यदेव का आराधना करते समय हमारा मुख किस दिशा में होना चाहिए?

           प्रश्न : भगवान सूर्यदेव का आराधना करते समय हमारा मुख किस दिशा में होना चाहिए? उत्तर: प्रातः काल : पूर्व दिशा की ओर सायं काल : पश्चिम दिशा की ओर रात्रि काल : उत्तर दिशा की ओर भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ५९ द्वारा अनुज मिश्रा

भगवान ब्रह्मा के ५० वर्षों के कालखंड को किस नाम से जाना जाता है?

          प्रश्न : भगवान ब्रह्मा के ५० वर्षों के कालखंड को किस नाम से जाना जाता है? उत्तर: परार्ध भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ५८ द्वारा अनुज मिश्रा

Chennakeshava Swamy Temple @ Belur (Karnataka)

            चनाकेशवा  स्वामी  मंदिर , बेलूर ( कर्नाटक )   Chennakeshava Swamy Temple, Belur  : Chennakeshava Swamy temple is a Hindu temple dedicated to lord Vishnu. The word Chennakeshava is the combination of two words  Chenna means good, beautiful in Kannada Language and  Keshava means Lord Vishnu.  It is situated in a small city called Belur which is in Hasan district, Karnataka, India. Earlier days Belur was also known as Velapura and it was the capital city of Chola Dynesty.  This temple was commissioned by King Vishnuvardhana in 1117 CE  which took around 100 years to complete. Temple is made with black stone and carving on the stone is super. It can not be explained in words but you have to see to realize the wonder created by our ancestors. I have attached few photos which will give you and idea. The temple complex has five temples and other structures  Chennakeshva Swamy temple Kappe Chennigaraya Vira Narayana Saumyanayaki Ranganayaki Vasudeva Sarovara Granary Deepa Stambha (

वेदों और पुराणों का अध्ययन कब पवित्रता प्रदान नही करता है?

         प्रश्न : वेदों और पुराणों का अध्ययन कब पवित्रता प्रदान नही करता है? उत्तर: आचरण रहित व्यक्ति अगर अपने सरे अंगों की सहायता से भी वेद और पुराण का अध्ययन करे तो भी वह पवित्र नहीं बनता है इसलिए शुद्ध आचरण होना अनिवार्य है | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ४० - ४५ द्वारा अनुज मिश्रा

भगवान कार्तिकेयन को देवताओं का सेनापति कब बनाया गया था?

        प्रश्न : भगवान कार्तिकेयन को देवताओं का सेनापति कब बनाया गया था? उत्तर: कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ३९ द्वारा अनुज मिश्रा

Sringeri Sharada Peetham @ Sringeri ( Karnataka )

          श्रृंगेरी  शारदा  पीठम  , श्रृंगेरी ( कर्नाटक )   लम्बिकायोगनिरतं अम्बिकापतिरूपिणम् । विद्याप्रदं नमामीशं विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥ Sringeri Sharada Peetham : Sringeri Sharada Peetham is the first and foremost of the four Peethams established by Sri Adi Shankaracharya to propagate Sanatan Dharma.  In South : Sringeri Sharada Peetham, Karnataka In North : Badri Jyotishpeetham, Uttarakhand In East : Puri Govardhana Peetham, Odisha In West : Dwaraka Sharada Peetham, Gujrat  Akshrabhyasa :  This is one of the 16 Samskara called Vidyarambh Sanskar also known as Aksharabhyasam. It is performed by couples with young children before starting their education. This ritual is special because the presiding deity Sri Sharadamba is the Goddess of intelligence and knowledge. This is one of the main rituals performed in Peetham. Vedavyasa :  Education about the Vedas are given inside the Gurukul campus.  It is situated on the banks of the river Tunga amongst the lush green mountain ranges of S

भगवान इंद्र और माता शची को किस व्रत के अनुष्ठान से पुत्र की प्राप्ति हुई थी?

       प्रश्न : भगवान इंद्र और माता शची को किस व्रत के अनुष्ठान से पुत्र की प्राप्ति हुई थी? उत्तर: अक्षय तृतीया ( गौरी तृतीया ) भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय २ १ द्वारा अनुज मिश्रा

स्वर्गलोक या ब्रह्मलोक पाने का प्रमुख शर्त क्या क्या है ?

      प्रश्न : स्वर्गलोक या ब्रह्मलोक पाने का प्रमुख शर्त क्या क्या है ? उत्तर: सुकर्मों के साथ साथ पुराणों में वर्णित ४८ संस्कारों का शास्त्रीक विधि से पूर्ण होना | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय १-२ द्वारा अनुज मिश्रा

कन्यादान के उपरांत कन्या या उनके परिवार से कुछ लेना या लेने की अभिलाषा रखना घोर पाप

     प्रश्न : कन्यादान के उपरांत कन्या या उनके परिवार से कुछ लेना या लेने की अभिलाषा रखना घोर पाप उत्तर: सत्पुरुष कन्या ये उनके परिवार से प्राप्त वास्तु के बदले कन्या को कुछ देते हैं | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय १० - १५ द्वारा अनुज मिश्रा

चरण स्पर्श का तरीका जो की अभिवादन का उत्तम विधि है?

     प्रश्न : चरण स्पर्श का तरीका जो की अभिवादन का उत्तम विधि है? उत्तर: चरण स्पर्श करते समय एक साथ में ही आपका दायाँ हाथ दाएं पैर को और बायाँ हाथ बाएं पैर को स्पर्श होना चाहिए | भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय ४ द्वारा अनुज मिश्रा

ब्राह्मणों के ६ अनिवार्य कार्य कौन कौन से हैं ?

    प्रश्न : ब्राह्मणों के ६ अनिवार्य कार्य कौन कौन से हैं ? उत्तर: १. पढ़ना २. पढ़ाना ३. दान देना ४. दान लेना ५. यज्ञ करना ६. यज्ञ कराना भविष्य पुराण / ब्रह्मपर्व / अध्याय १ - २ द्वारा अनुज मिश्रा