प्रश्न : दो प्रकार के ब्रह्मचारी कौन कौन से हैं?
उत्तर:
उपकुर्वाण : जो विधिवत वेदादि का अध्ययन करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश कर जाते है। नैस्टिक : जो मृत्युपर्यन्त गुरुकुल में निवास करते हुए वेदाध्यन करते हैं।
गरुड़ पुराण / आचार कांड / अध्याय ४९
द्वारा अनुज मिश्रा
+91 99001 44384
राधे राधे
अगर मेरे प्रश्न से कोई कष्टजनक भाव बने तो कृपया मुझे क्षमा करें
अगर कोई विद्यार्थी या विवाहित पुरुष ब्रह्मचर्य
का पालन कर रहो और ना चाहते हुए भी उनका वीर्यपात हो जाये तब
•क्या वह अशुद्ध माने जायेंगे?
•क्या उनकी स्पर्श में आई चीज़े (बिस्तर आदि)अशुद्ध हो जायेगी??
•क्या वीर्य अशुद्ध होता हैं? शास्त्रों में इनका क्या वर्णन हैं कृपया बताये???
कृपया मार्गदर्शन करें
राधे कृष्ण
हमारे धर्मग्रंथों में दो प्रकार के ब्रह्मचारियों का वर्णन है
१. उपकुर्वाण : जो विधिवत वेदादि का अध्ययन करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश कर जाते है। इनके लिए काम सिर्फ संतानोत्पति के लिए वैद्य है |
२. नैस्टिक : जो मृत्युपर्यन्त गुरुकुल में निवास करते हुए वेदाध्यन करते हैं। इनके लिए काम निषेध है |
दोनों ही परिस्थितियों में काम को ब्रह्मचर्य जीवन में बाधक माना गया है परन्तु अगर किसी परिस्थिति में काम की अभिलाषा उत्पन्न होती है उसी समय ब्रह्मचर्य धर्म नष्ट होता है |
वीर्यपात भी दो परिस्थितियों में ही होती हैं
१. मंथन से (शारीरिक और मानसिक ) - इसमें ब्रह्मचर्य धर्म नष्ट होता है | मानसिक अशुद्धि को सर्वोपरि माना गया है इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता की आपका कपडा, बेड इत्यादि अशुद्ध हुआ या नहीं |
२. किसी बीमारी के कारण - बीमार व्यक्ति कभी अशुद्ध नहीं होता |
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