प्रश्न : क्या भगवत आराधना के लिए पवित्र रहना जरूरी है?
उत्तर:
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।
प्राणी चाहे अपवित्र हो या पवित्र, सभी अवस्थाओं में रहते हुए जो भगवान विष्णु का स्मरण करता है वह बाहर और भीतर से पवित्र हो जाता है।
संदर्भ : गरुड़ पुराण / धर्म कांड (प्रेतकल्प) /अध्याय 47
150324-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/K12Z6MNnU-M
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द्वारा
अनुज मिश्रा
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