प्रश्न : कुम्भ क्या है ?
उत्तर : सनातनी त्यौहार जिसको धूम धाम से मनाया जाता है ? प्रश्न : कुम्भ क्यों मानते हैं ? उत्तर: भगवान बृहस्पति के प्रति आभार ब्यक्त करने के लिए क्यों कि वे हमें बाहरी संकटों से रक्षा करते हैं। प्रश्न: कुम्भ का नामकरण किस आधार पर पड़ा ? उत्तर : भगवान बृहस्पति के द्वारा भगवान सूर्य की परिक्रमा करने के कारण बानी हुई आकृति जो की कुम्भ (घड़ा) के जैसा होता है। दूसरा कारण है समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कुम्भ (धड़ा) का निकलना। प्रश्न : कुम्भ कितने नामों से जाना जाता है ? उत्तर : वार्षिक - माघ मेला , 3 वर्षो का - कुम्भ , 6 वर्षो का - अर्धकुम्भ, 12 वर्षों का - पूर्णकुम्भ , 12 पूर्ण कुम्भ का - महाकुम्भ प्रश्न : कुम्भ कहाँ कहाँ लगता है और क्यों ? उत्तर: समुद्र मंथन से निकले अमृत को भगवान गरुड़देव लेकर भाग गए थे ताकि दानवों को अमृत न मिल सके। भागने के दौरान अमृत चार स्थानों पर छलका (गिरा) था जहाँ पर कुम्भ लगता है। वह स्थान है प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन। प्रश्न: कुम्भ चारो स्थानों में किस स्थान पर लगेगा, किस आधार पर तय किया जाता है ? उत्तर : ज्योतिषीय गणना के आधार पर। अगर बृहस्पति देव वृषभ राशि में और सूर्यदेव मकर राशि में होते हैं तो कुम्भ प्रयागराज में लगता है। अगर बृहस्पति देव कुम्भ राशि में और सूर्यदेव मेष राशि में होते हैं तो कुम्भ हरिद्वार में लगता है। अगर बृहस्पति देव सिंह राशि में और सूर्यदेव भी सिंह राशि में होते हैं तो कुम्भ नासिक में लगता है। अगर बृहस्पति देव सिंह राशि में और सूर्यदेव मेष राशि में होते हैं तो कुम्भ उज्जैन में लगता है। प्रश्न: कुम्भ स्नान से क्या फायदा होता है ? उत्तर: “यद् भावं तद् भवति” , हमारा जैसा भाव होता है , फल भी वसा ही मिलता है।
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