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श्री रामायण

 

प्रश्न : प्रभु श्रीरामचंद्र जी के गुरुमाता कौन थीं? महर्षि वशिष्ट के पत्नी कौन थीं ?
उत्तर: माता अरुंधति

संदर्भ :    XXXX          


प्रश्न : सत्वगुण, रजगुण, तमगुण इनकी विशेषता क्या है?

उत्तर: 
सत्त्वगुण : जो सर्वदा दूसरों के भला सोचे। 
रजगुण : जो पहले अपना भला और बाद में दूसरों का भला सोचे। 
तमगुण : जो सिर्फ अपना भला सोचे चाहे इसके लिए दूसरों को हानि ही क्यों न हो। 

संदर्भ :   XXXX               





प्रश्न : प्रभु श्रीराम के पिता महाराज दशरथ के माता और पिता कौन थे?

उत्तर: महाराज दशरथ के पिता : महाराज अज और माता : इंदुमती

संदर्भ :   XXXX               



* * * बाल काण्ड * * *  

प्रश्न : देवर्षि नारद का रामायण महाकाव्य की कथा मुनि सनतकुमार को सुनाना - ये सनतकुमार कौन थे ?

उत्तर: सनतकुमार सनकादि मुनियों में से एक थे जो की भगवान ब्रह्मा के पुत्र थे | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / प्रथम अध्याय / श्लोक १८, १९                 




प्रश्न : रामायण का नवाह परायण क्या होता है?

उत्तर: नवाह परायण में प्रभु श्रीराम का चरित्र का वर्णन नव दिनों तक एक निश्चित समय पर किया जाता है |     

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / प्रथम अध्याय /  श्लोक ४०               





प्रश्न : रामायण की रचना से पहले महर्षि वाल्मिकी जी को प्रभु श्रीराम की कथा कौन सुनाए थे?

उत्तर: देवर्षि नारद     

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / बालकाण्ड / सर्ग १ / श्लोक ८               




प्रश्न : महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण का प्रारूप का अनुमोदन किन्होंने किया था?

उत्तर: महर्षि भारद्वाज जी     

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / बालकाण्ड / सर्ग २ / श्लोक ४,५               




प्रश्न : महर्षि वाल्मिकी जी किनके आग्रह पर रामायण महाकाव्य की रचना किए थे?

उत्तर: भगवान ब्रह्मा जी   

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / बालकाण्ड / सर्ग २ / श्लोक ३२               




प्रश्न : रामायण की शुक्षत्तम जानकारी महर्षि वाल्मीकि जी को कैसे मिली थी?

उत्तर: योग और धर्म के बल से

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ३ / श्लोक ३,४                 




प्रश्न : महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण में कुल कितने काण्ड, सर्ग और श्लोक हैं?

उत्तर: काण्ड - ७ , सर्ग - ५०० , श्लोक - २४०००

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ४ / श्लोक २               




प्रश्न : महर्षि वाल्मिकी रामायण महाकाव्य की रचना को सर्वप्रथम किनको सुनाए थे?

उत्तर: प्रभु श्रीराम के पुत्र लव और कुश को 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ४ / श्लोक ५ - ७              




प्रश्न : मोक्षदायिनी नगरी परमधाम अयोध्या को किन्होंने बसाया था?

उत्तर: प्रभु श्रीराम के पूर्वज महाराज मनु

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ५ / श्लोक ५,६                




प्रश्न : प्रभु श्रीराम जी का नाम कोशलाधीश क्यों पड़ा? 

उत्तर: महाराज दशरथ संतानोत्पत्ति के निमित अश्वमेघ यज्ञ कराने का विचार किये थे जिनका अनुमोदन महर्षि वशिष्ठ और दुसरे लोगों ने किया था | महाराज दशरथ मंत्री सुमंत्र को आदेश दिए थे महर्षि वशिष्ठ और दुसरे गणमान्य व्यक्तियों को बुलाने के लिए |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ५ / श्लोक ५,६                 




प्रश्न : संतानोत्पति के निहित महाराज दशरथ के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ का अनुष्ठान 

उत्तर: महाराज दशरथ संतानोत्पत्ति के निमित अश्वमेघ यज्ञ कराने का विचार किये थे जिनका अनुमोदन महर्षि वशिष्ठ और दुसरे लोगों ने किया था | महाराज दशरथ मंत्री सुमंत्र को आदेश दिए थे महर्षि वशिष्ठ और दुसरे गणमान्य व्यक्तियों को बुलाने के लिए |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग ८ / श्लोक ३ , ४                 




प्रश्न : महाराज दशरथ द्वारा किया गया पुत्र्योष्ठी यज्ञ के मुख्य पुरोहित कौन थे?

उत्तर: महर्षि ऋष्यश्रृंग

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग १२ / श्लोक ३ १/२                   




प्रश्न : महाराज दशरथ को  ४ पुत्र होंगे इसकी जानकारी किनके द्वारा हुई थी?

उत्तर: महर्षि ऋष्यश्रृंग

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण /  बालकाण्ड / सर्ग १४ / श्लोक ५९                   



प्रश्न : प्रभु श्रीराम के बाद किसका जन्म हुआ था? महाराज दशरथ का पुत्र प्राप्ति का क्रम क्या था?

उत्तर: महाराज दशरथ को पुत्र प्राप्ति निम्न क्रम में हुआ था 
१. प्रभु श्रीराम जी 
२. धर्मात्मा भरत जी 
३. श्री लक्ष्मण जी
४. श्री शत्रुघ्न जी   

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / बालकांड / १८ सर्ग / श्लोक ०८ - १५                   




* * * अयोध्या काण्ड * * *

प्रश्न : भगवान इंद्र के सारथी कौन थे?

उत्तर: मातलि 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / १४  सर्ग / श्लोक ४८




प्रश्न : प्रभु श्रीराम की माता कौशल्या कितने गांवों का पालन पोषण करती थीं?

उत्तर: माता कौशल्या को १००० (एक शहस्त्र ) गांव मिला था पालन पोषण करने के लिए | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३१  सर्ग / श्लोक २३

070622-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/VNOuw3diGxQ



प्रश्न : प्रभु श्रीराम वनवास जाते समय कौन कौन से दिव्यास्त्रों को साथ लेकर गए थे?

उत्तर: धनुष , कवच , तरकश , खडग 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३१  सर्ग / श्लोक २९ - ३१




प्रश्न : प्रभु श्रीराम को प्रिय गजराज शत्रुंजय  कहां से मिला था ?

उत्तर: प्रभु श्रीराम का प्रिय गजराज शत्रुंजय को उनके मामा ने उपहार के रूप में दिए थे | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३२  सर्ग / श्लोक १०



प्रश्न : महाराज दशरथ की कितनी रानियाँ थीं?

उत्तर: महाराज दशरथ को कौशल्या, कैकई और सुमित्रा के अलावा ३५० रानियाँ थीं | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३४ सर्ग / श्लोक १० - १३ , वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३९ सर्ग / श्लोक ३६ , ३७ 




प्रश्न : वनवास जाने से पूर्व माता सीता को वल्कल वस्त्र किन्होंने पहनाया था?

उत्तर: माता सीता को वल्कल प्रभु श्रीराम जी ने स्वयं पहनाये थे |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या काण्ड / ३७ सर्ग /  श्लोक २०, २१                     




प्रश्न : माता सीता का राज्याभिषेक करने का प्रस्ताव किन्होंने दिया था?

उत्तर: प्रभु श्रीराम के कुलगुरु ब्रम्हर्षि वशिष्ठ ने |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या काण्ड / ३७ सर्ग /  श्लोक २३                     




प्रश्न : वनवास जाते समय प्रभु श्रीराम जी को अयोध्या जनपद से बाहर किन्होंने छोड़ा था?

उत्तर: महाराज दशरथ के आदेश पर मंत्री सुमंत्र ने प्रभु श्रीराम को अयोध्या जनपद से बाहर तक छोड़े थे |  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३९ सर्ग / श्लोक ०९ - ११                  




प्रश्न : माता सीता वनवास जाते समय बहुमूल्य आभूषण किनके आदेश से लेकर गईं थीं?

उत्तर: महाराज दशरथ के आदेश पर |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३९ सर्ग / श्लोक १६                   



प्रश्न : पति अपरिमित सुख प्रदान करते हैं यह बात माता सीता ने किनसे कही थीं?

उत्तर: माता सीता ने माता कौशल्या को वन जाने से पूर्व उस समय बोलीं थीं जब माता कौशल्या ने कही थीं की राम का वन में ख्याल रखना |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ३९ सर्ग / श्लोक ३०                    




प्रश्न : प्रभु श्रीराम का वनवास के लिए अयोध्या छोड़ते समय रथ पर बैठने का क्रम क्या था?

उत्तर: सर्वप्रथम माता सीता इसके बाद प्रभु श्रीराम और अंत में श्री लक्ष्मण जी रथ पर आरूढ़ हुए थे। 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४० सर्ग / श्लोक १३, १६                  




प्रश्न : महाराज दशरथ प्रभु श्रीराम जी को वनवास जाते समय आर्द भाव से कब तक देखे थे ?

उत्तर: महाराज दशरथ प्रभु श्रीराम जी को वन जाते तबतक देखे थे जब तक प्रभु श्रीराम जी का रथ और उससे उड़ती हुई धूल दिख रही थी |  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४२ सर्ग / श्लोक १                  




प्रश्न : प्रभु श्रीराम का अयोध्या छोड़ने के पश्चात महाराज दशरथ का जमीन पर गिरना – किन्होंने सहारा दिया?

उत्तर: माता कौशल्या दाहिने तरफ से और माता कैकई बाएं तरफ से  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४२ सर्ग / श्लोक ४                 




प्रश्न : महाराज दशरथ माता कैकई को त्यागते समय कुंठित भाव से क्या वचन बोले थे ? 

उत्तर: महाराज दशरथ माता कैकई को त्यागते समय बोले थे की आपने धन के लिए धर्म का त्याग किया है इसलिए मैं आपको त्याग करता हूँ |  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४२ सर्ग / श्लोक ७                 




प्रश्न : वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम का पहला रात्रि विश्राम कहां पर हुआ था?

उत्तर: तमसा तट (तमसा नदी के किनारे)    

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४६ सर्ग / श्लोक २                




प्रश्न : प्रभु श्रीराम वनवास के दौरान पहला रात्रि विश्राम में क्या खाए थे?

उत्तर: कुछ भोजन ग्रहण नहीं किये थे सिर्फ जलाहार किये थे |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ४६ सर्ग / श्लोक १०                   




प्रश्न : वनवास जाने के लिए प्रभु श्रीराम अयोध्या नगरी से आज्ञा लेकर क्या आश्वासन दिए ?

उत्तर: प्रभु श्रीराम चंद्र जी अयोध्या नगरी को प्रणाम करके वन जाने की आज्ञा लिए और बोले कि वनवास की अवधी समाप्त होने पर पुनः आपकी सेवा में उपलब्ध हो जायेंगे |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५० सर्ग / श्लोक २                   




प्रश्न : भगवान के द्वारा इस्तेमाल किया गया उपवन दूसरे किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: देवपद्मिनी

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५० सर्ग / श्लोक १५                  




प्रश्न : वनवास के दौरान कोशल जनपद से बाहर प्रभु श्रीराम का पहला रात्रि विश्राम कहाँ हुआ था?

उत्तर: श्रृंगवेरपुर 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५० सर्ग / श्लोक २६ , २७                 




प्रश्न : प्रभु श्रीराम किनके संरक्षण में नाव के सहारे गंगा पार किए थे?

उत्तर: निषादराज गुह 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५२ सर्ग / श्लोक ५ - ८                 




प्रश्न : प्रभु श्रीराम क्या बोलकर मंत्री सुमंत्र को अयोध्या लौटने का आग्रह किए थे?

उत्तर: प्रभु श्रीराम सुमंत्र से बोले की जब आप अयोध्या चले जायेंगे तो माता कैकई को यह विश्वास हो जायेगा की आपने हमें वन में छोड़ दिया है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५२ सर्ग / श्लोक ६१                 




प्रश्न : प्रभु श्रीराम चंद्र जी निर्जन वन में रहने का फैसला क्यों किए थे?

उत्तर: प्रभु श्रीराम नहीं चाहते थे कि अयोध्या से उनसे मिलने के लिए लोग आएं और  उनको अयोध्या चलने के लिए वाध्य करें |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५२ सर्ग / श्लोक ६७, ६८               




प्रश्न : वनवास के दौरान गंगा पार करते समय माता सीता माता गंगा से क्या प्रार्थना किए थे?

उत्तर: प्रभु श्रीराम आपसे सुरक्षित रहकर पिता का आज्ञा का पालन कर सकें |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५२ सर्ग / श्लोक ८३                




प्रश्न : वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम गंगा पार करके किस जनपद में चले गए थे?

उत्तर: वत्स देश जनपद ( प्रयाग राज )

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५२ सर्ग / श्लोक १०१                 




प्रश्न : प्रभु श्रीराम के मन में माता कैकई के प्रति संदेह का कारण क्या था?

उत्तर: प्रभु श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के सामने माता कैकई को लेकर बनावटी संदेह उत्त्पन किये थे क्यों की वे चाहते थे की उनकी वजह से लक्ष्मण वन में नहीं जाएँ और अयोध्या को लौट जाएँ।

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५३ सर्ग / श्लोक ६ - २६               




प्रश्न : वह पेड़ (वृक्ष) जाहां पर माता सीता मन्नत मानी थी उसका नाम क्या था?

उत्तर: अक्षयवट ( श्यामवट ) 


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक ६-७               




प्रश्न : प्रभु श्रीराम कोशल जनपद पार करने के उपरांत किनके आश्रम में ठहरे थे?

उत्तर: महर्षि भरद्वाज ( प्रयागराज )

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक ११ - १२               

310722-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/4fJdwV3PPSc



प्रश्न : भरद्वाज मुनि आतिथ्य सत्कार में प्रभु श्रीराम को क्या अर्पित किए थे?

उत्तर: गौ और अर्ध्य 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक १७               




प्रश्न : भरद्वाज मुनि के आश्रम में ही वनवास व्यतीत करने का अनुरोध प्रभु श्रीराम क्यों नहीं  स्वीकार किये ?

उत्तर: प्रभु श्रीराम नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से लोग आश्रम में आते रहें जिससे भरद्वाज मुनि का क्रिया कलाप में विघ्न पड़े और उनको असुविधा हो |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक २२ - २६               




प्रश्न : चित्रकूट धाम का महता ( विशेषता) क्या है?

उत्तर: चित्रकूट धाम के दर्शनमात्र से ही पाप करने का विचार समाप्त हो जाता है |


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक ३०               




प्रश्न : प्रभु श्रीराम जी को चित्रकूट में रहने का विचार किनके कहने से आया था?

उत्तर: भरद्वाज मुनि

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५४ सर्ग / श्लोक ३२        




प्रश्न : प्रभु श्रीराम का चित्रकूट प्रस्थान के पूर्व भरद्वाज मुनि स्वस्तिवाचन किस प्रकार से किये थे  ?

उत्तर: भरद्वाज मुनि प्रभु श्रीराम का स्वस्तिवाचन ऐसे किये जैसे कोई पिता अपने औरस पुत्र को करता है 


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५५ सर्ग / श्लोक २              




प्रश्न : वनवास के दौरान माता सीता अक्षयवट (श्यामवट) से क्या प्रार्थना किए थे?

उत्तर: हमसब सकुशल वनवास काल समाप्त कर अयोध्या को लौट आएं तथा माताओं का आशीर्वाद पाएं |


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५५ सर्ग / श्लोक २४, २५               




प्रश्न : महर्षि वाल्मिकी प्रभु श्रीराम से सर्वप्रथम कब और कहां मिले थे?

उत्तर: प्रभु श्रीराम, महर्षि वाल्मीकि से सर्वप्रथम चित्रकूट आश्रम में मिले थे अपने वनवास काल के समय |


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५६ सर्ग / श्लोक १६               




प्रश्न : प्रभु श्रीराम मंत्री सुमंत्र के द्वारा अयोध्यावासियों के लिए क्या संदेश भेजवाए थे?

उत्तर: सबलोग कुमार भरत से राज्योचित ब्यवहार करें क्यों अगर राजा उम्र में छोटे भी हैं तो भी पूज्यनीय होते हैं |


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५८ सर्ग / श्लोक २०               





प्रश्न : प्रभु श्रीराम  मंत्री सुमंत्र जी के द्वारा अपने भाई  कुमार भरत को क्या संदेश भेजे थे? 

उत्तर: आप महाराज दशरथ को राजसिंहासन से नहीं उतारेंगे और स्वयं युवराज पद पर रहकर महाराज की आज्ञा का पालन करेंगे | 


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ५८ सर्ग / श्लोक २३               




प्रश्न : प्रभु श्रीराम अपने बाहुबल से अयोध्या के राजा बन सकते थे परंतु वे वन जाना उचित क्यों समझे ?

उत्तर: क्यों की जो धर्मात्मा पुरे विश्व को धर्म में लगते हैं, वे स्वयं पिता का आज्ञा का पालन न करके और वन में न जाकर अधर्म कैसे कर सकते थे !


संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६१ सर्ग / श्लोक २०                 




प्रश्न : हमारे धर्मग्रंथ में शोक को सबसे बड़ा शत्रु क्यों बताया गया है?

उत्तर: 
शोको नाशयते धैर्यं, शोको नाशयते श्रुतम्।
शोको नाशयते सर्वं,नास्ति शोकः समो रिपुः।।

शोक धैर्य को समाप्त कर देता है,शोक शास्त्रीय ज्ञान को समाप्त कर देता है।शोक सर्वस्व समाप्त कर देता है,शोक के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६२ सर्ग / श्लोक १५                




प्रश्न : महाराज दशरथ की मृत्यु प्रभु श्रीराम के वनवास के कितने दिनों के पश्चात  हुई थी?

उत्तर: पिता : महाराज दशरथ की मृत्यु प्रभु श्रीराम के वनवास के छठे दिन हुई थी |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६३ सर्ग / श्लोक ४               




प्रश्न : अनजाने में, अज्ञानतावस्  या गलती से भी किए गए पाप का फल भुगतना ही पड़ता है

उत्तर: अनजाने में, अज्ञानतावस्  या गलती से किया गया पाप का भी फल भुगतना पड़ता है वैसे ही जैसे अगर कोई शिशु अनजाने से या गलती से विष पान कर ले तो भी मृत्यु होती है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६३  सर्ग / श्लोक १२, १३               




प्रश्न : महाराज दशरथ का वह कला जो उनके श्राप का कारण बना था? शब्दवेधी कला क्या है? 

उत्तर: शब्दवेधी / शब्दभेदी

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६३ सर्ग/ श्लोक १३               




प्रश्न : महाराज दशरथ को ऋषि के द्वारा मृत्यु का श्राप क्यों मिला था?

उत्तर: महाराज दशरथ के द्वारा अपने पुत्र का वध होने के कारण ऋषि श्राप दिए थे कि जिस तरह से हम पुत्र के वियोग में शोकाकुल हैं तुम भी पुत्र के वियोग में शोकाकुल रहोगे जिससे तुम्हारी मृत्यु होगी |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६४ सर्ग / श्लोक ५४               




प्रश्न : महाराज दशरथ किसके समक्ष अपना प्राण त्यागे थे?

उत्तर: माता कौशल्या और माता सुमित्रा

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६४ सर्ग / श्लोक ७७               




प्रश्न : महाराज दशरथ के मृत शरीर को किस विधि से सुरक्षित रखा गया था?

उत्तर: महाराज दशरथ के मृत शरीर को औषधियुक्त  तेल में रखकर सुरक्षित किया गया था |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६६ सर्ग / श्लोक  १४,२७               




प्रश्न : महाराज दशरथ के मृत्यु के समय उनके कोई भी पुत्र वहां उपस्थित क्यों नही थे?

उत्तर: महाराज दशरथ के मृत्यु के समय चारों पुत्रों में से कोई भी उपस्थित नहीं थे क्यों कि प्रभु श्रीराम , कुमार लक्ष्मण जी वन को चले गए थे और कुमार भरत और कुमार शत्रुघ्न अपने मामा के घर कैकईदेश को गए थे |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६७ सर्ग / श्लोक ७               




प्रश्न : महाराज दशरथ के मृत्यु के उपरांत कुमार भरत का राज्याभिषेक क्यों अनिवार्य था?

उत्तर: पिता : हमारे धर्मग्रन्थ में राजा का होना अनिवार्य बताया गया है क्यों कि राजा सत्य और धर्म के प्रवर्तक होते हैं और राजा के अभाव में धर्म और सत्य दोनों कि ही हानि होती है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६७ सर्ग / श्लोक ३३               




प्रश्न : महाराज दशरथ के मृत्यु का आभाष कुमार भरत को कैसे हुआ था?

उत्तर: पिता : कुमार भरत को स्वप्न में महाराज दशरथ विकृत स्थिति में और गधे से जूते हुए रथ पर सवार  दिखाई दिए थे जिसका मतलब मृत्यु सूचक बताया गया है | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ६९ सर्ग / श्लोक  १७, १८               




प्रश्न : महाराज दशरथ का अंतिम संस्कार मृत्यु के कितने दिनों के पश्चात हुआ था?

उत्तर: महाराज दशरथ का अंतिम संस्कार उनके मृत्यु से नवां दिन हुआ था | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ७१ सर्ग / श्लोक १७, १८              




प्रश्न : प्रभु श्रीराम जी की नगरी अयोध्या का मुख्य द्वार का नाम क्या था?

उत्तर: वैजयन्त द्वार

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ७१ सर्ग / श्लोक ३३              




प्रश्न : महाराज दशरथ की मृत्यु और प्रभु श्रीराम का वनवास का समाचार कुमार भरत को किसने सुनाया था ?

उत्तर: माता कैकई

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ७२ सर्ग / श्लोक १५              




प्रश्न : माता कैकई किनकी पुत्री थीं? माता कैकई के माता पिता कौन थे ?

उत्तर: पिता : अश्वपति ,  माता : शुभलक्षणा

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ७४ सर्ग / श्लोक ९               




प्रश्न : श्राद्धकर्म के लिए ज्येष्ठ पुत्र का प्रथम अधिकार परंतु महाराज दशरथ का श्राद्धकर्म किन्होंने किया था?

उत्तर: कुमार भरत 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ७६ सर्ग / श्लोक ११              




प्रश्न : प्रभु श्रीराम के वनवास के पश्चात माता मंथरा का क्या हुआ था?

उत्तर: प्रभु श्रीराम के वनवास के बाद कुमार शत्रुघ्न के द्वारा माता मंथरा को अपमानित किया गया था जिसका विरोध कुमार भारत यह बतलाकर किये थे की यह धर्म संगत नहीं है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ७८ सर्ग / श्लोक १३ - २१            




प्रश्न : कुमार भरत अपनी माता कैकई को क्यों मारना चाहते थे?

उत्तर: कुमार भरत अपने माता कैकई को इसलिए मारना चाहते थे क्यों कि उन्ही के कारण प्रभु श्रीराम का वनवास हुआ था पर वे ऐसा इसलिए नहीं कर पाए थे क्यों कि उनको भय था कि कहीं प्रभु श्रीराम मातृघाती समझकर हमसे घृणा न करने लगें  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ७८ सर्ग / श्लोक २२            




प्रश्न : कुमार भरत अपना राज्याभिषेक क्यों अस्वीकार किए थे?

उत्तर: कुमार भरत का मानना था कि उनके कुल में ज्येष्ठ पुत्र को ही राज्याभिषेक होता है जो कि उचित है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ७९ सर्ग / श्लोक ७ , वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८२ सर्ग / श्लोक  ११, १२           




प्रश्न : प्रभु श्रीराम को वन से लौटा लाने के लिए कुमार भरत के साथ कितनी बड़ी सेना गई थी?

उत्तर: ९००० हाथी , ६०००० रथ , १००००० घुड़सवार और अनगिनत पैदल सेना 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८३ सर्ग / श्लोक ४, ५               





प्रश्न : माता कैकई वन में प्रभु श्रीराम से अयोध्या लौटने के लिए आग्रह करने किनके साथ गई थीं?

उत्तर: कुमार भरत, माता कौशल्या, माता सुमित्रा तथा अन्य लोगों के साथ |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८३ सर्ग / श्लोक ६               





प्रश्न : निषादराज गुह अपने ५०००० सैनिकों को युद्ध के लिए क्यों तैयार रहने का आदेश दिए थे?

उत्तर: निषादराज गुह को आशंका था कि कुमार भरत प्रभु श्रीराम को अहित करने कि भावना से वन जा रहे हैं |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८४ सर्ग / श्लोक  ५, ६,  ७                




प्रश्न : प्रभु श्रीरामचंद्र जी अपनी जटा बनाने में किनकी सहायता लिए थे?

उत्तर: निषादराज गुह     

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८६ सर्ग / श्लोक २४                

110922-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/OJcCJdiUbvE




प्रश्न : प्रभु श्रीराम का जटाधारण के विषय में जानकर कुमार भरत व्यथित क्यों हुए थे?

उत्तर: कुमार भरत को यह शंशय हो गया था कि जटाधरण के बाद प्रभु श्रीराम को लौटा लाने का मनोरथ पूरा नहीं होगा |     

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८७ सर्ग / श्लोक १                 




प्रश्न : कुमार भरत प्रभु श्रीराम की तरह दिनचर्या का प्रण कब किये थे ?

उत्तर: कुमार भरत प्रभु श्रीराम की तरह दिनचर्या का प्रण उस समय किये थे जब प्रभु श्रीराम के मित्र निषादराज गुह प्रभु श्रीराम का दिनचर्या का वर्णन कुमार भरत से किये थे |   

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८८ सर्ग / श्लोक २६                




प्रश्न : कुमार भरत गंगा पार करने की चुनौती को किनकी सहायता से पूर्ण किए थे?

उत्तर: निषादराज गुह की सहायता से जिसमे ५०० नावों का इस्तेमाल किया गया था

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८९ सर्ग / श्लोक १०              





प्रश्न : कुमार भरत गंगा पार करके किस मुर्हूत में प्रयागराज के लिए निकले थे?

उत्तर: मैत्र मुर्हुत में ( १ दिन में कुल १५ मुर्हुत होता है )

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८९ सर्ग / श्लोक २१              




प्रश्न : एक दिन में कुल कितने मुहूर्त होते हैं?

उत्तर: एक दिन में कुल १५ मुर्हुत होते हैं | २ घडी का १ मुर्हुत होता है |

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ८९ सर्ग / श्लोक २१               




प्रश्न : भरद्वाज मुनि की किन बातों से कुमार भरत आहत हुए थे और उनकी आंखें डबडबा गईं थीं?

उत्तर: भरद्वाज मुनि कुमार भरत को बोले थे कि कहीं तुम प्रभु श्रीराम का अकंटक राज्य भोगने के लिए उनका अहित करने तो नहीं जा रहे हो ? 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ९० सर्ग / श्लोक ११ - १३              




प्रश्न : अप्सरा और देवांगना किन्हें बोला जाता है और इनमे क्या अंतर है?

उत्तर: जो महिलाएं भगवान इंद्र की सेवा में उपस्थित होती थीं उन्हें अप्सरा और जो भगवान ब्रम्हा की सेवा में उपस्थित होती थीं उन्हें देवांगना के नाम से जाना जाता है | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ९१ सर्ग / श्लोक १८              




प्रश्न : भारद्वाज मुनि की आज्ञा से कुमार भरत के समक्ष अप्सराओं का नृत्य, अप्सराओं का नाम क्या था ?

उत्तर: अलम्बुषा, मिश्रकेशी, पुण्डरीका,वामना

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ९१ सर्ग / श्लोक ४७             




प्रश्न : भरद्वाज मुनि के समक्ष कुमार भरत के द्वारा कैकई का परिचय देना और मुनि का अपना विचार प्रकट करना

उत्तर: भरद्वाज मुनि बोले कि तुम कैकई के प्रति दोष दृष्टि न करो | श्रीराम का यह वनवास भविष्य में बड़ा ही सुखद होगा | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ९२ सर्ग / श्लोक ३०             




प्रश्न : प्रभु श्रीरामचंद्र जी को चित्रकूट (वनवास) जाने से दो लाभ कौन कौन से हुआ था?

उत्तर: 
१. पिता की आज्ञा का पालन करके धर्म ऋण से मुक्त
२. राज्य त्यागकर छोटे भाई भरत का प्रिय करना 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  ९४ सर्ग / श्लोक १७            




प्रश्न : कुबेर देवता के उपवन और सरोवर का क्या नाम था?

उत्तर: 
उपवन का नाम : नंदनवन, 
सरोवर का नाम : सौगंधिक   

संदर्भ :    वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ९५ सर्ग / श्लोक  ४ , वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / ९८ सर्ग / श्लोक  १२             





प्रश्न : प्रभु श्रीरामचंद्र जी अपने पिता का पिंडदान कहां पर किए थे?

उत्तर: चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के तट पर 

संदर्भ :    वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  १०३ सर्ग / श्लोक २८           




प्रश्न : प्रभु श्रीराम अपने पिता महाराज दशरथ को किस चीज से पिंड दिए थे?

उत्तर: इंगुदी क गुद्दा और बेर का  

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड /  १०३ सर्ग / श्लोक २९            




प्रश्न : महाराज दशरथ का विवाह माता कैकई के साथ किस शर्त पर हुआ था?

उत्तर: माता कैकई का पुत्र ही भविष्य में अयोध्या का राजा बनेगा |    

संदर्भ :    वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / १०७ सर्ग / श्लोक  ३              




प्रश्न : उन ब्राह्मण देव का नाम जिन्होंने  प्रभु श्रीराम के समक्ष नास्तिक मत का अनुमोदन किए थे ?

उत्तर: जाबालि     

संदर्भ :    वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / १०८  सर्ग / श्लोक १ - १८              

201022-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/958-Vcht2Is


प्रश्न : प्रभु श्रीराम किनके कहने से अपना चरण पादुका कुमार भरत को दिए थे?

उत्तर: अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ 

संदर्भ :    वाल्मीकि रामायण / अयोध्या कांड / १३३ सर्ग / श्लोक  १३        

051122-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/3FkdXaEfCpY



* * * अरण्य काण्ड * * *

प्रश्न : प्रभु श्रीराम माता सबरी से किस आश्रम में मिले थे?

उत्तर: मतंग आश्रम | महर्षि मतंग माता शबरी के गुरु थे | 

संदर्भ :   वाल्मीकि रामायण / अरण्य काण्ड /  ७३ सर्ग /  श्लोक २६,२७   ,  वाल्मीकि रामायण / अरण्य काण्ड /  ७४ सर्ग /  श्लोक  ६






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