ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्राम च पुस्तकं ।
वसुंधरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं ।
ब्राह्मण का गुदा, शंख, शालिग्राम भगवान, पुस्तक और स्त्री की छाती जमीन पर लगने से दोष होता है व धरती पर भार पड़ता है।
साष्टांग प्रणाम : ८ / ६ अंगों युक्त होकर और जमीन पर सीधा लेटा जाता है
प्रथम मत
स + अष्ट + अंग प्रणाम = आठ अंगों के द्वारा प्रणाम
दूसरा मत
सष्ट + अंग प्रणाम = छह अंगों के द्वारा प्रणाम
एक साथ कौन कौन से अंग के द्वारा प्रणाम / दंडवत
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यामुरसा शिरसतथा।
मनसा वचसा दृष्टया प्रणामोअष्टाड्ग मुच्यते॥
१. सिर
२. हाथ
३. पैर
४. हृदय
५. आँख
६. जाँघ
७. वचन
८. मन
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Anuj Mishra
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